Philosophy of Swami Vivekanand>स्वामी विवेकानन्द के बारे मे 35 रोचक तथ्य
1. स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता मे 12 जनवरी 1863 मे हुआ था।
2. स्वामी जी के माता- पिता का नाम श्रीमती भुवनेश्वरी देवी व श्री विश्वनाथ दत्त था। और बाबा जी का नाम श्री दुर्गाचरण दत्त था।
3. स्वामी जी के पिता कलकत्ता हाईकोर्ट मे एटॉर्नी थे।
4. स्वामी जी के पिता विश्वनाथ दत्त के पैदा होते ही स्वामी जी के बाबा श्री दुर्गाचरण दत्त ने सन्यास ग्रहण कर लिया था।
5. स्वामी जी के जन्म के समय उनकी माता ने वीरेश्वर नाम दिया था, मगर नामकरण के बाद नरेंद्र नाथ नाम रखा गया।
6. विवेकानन्द नाम खेतडी नरेश अजीत सिंह के सुझाव पर 1893 मे रखा गया।
7. स्वामी जी ने सर्वप्रथम ईश्वरचन्द्र विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन इन्स्टीट्यूट विद्यालय मे प्रवेश लिया।
8. स्कॉटिश चर्च कॉलेज मे 1881 मे एफ. ए. तथा 1884 मे बी.ए. तक शिक्षा ग्रहण की ।
9 . स्कॉटिश चर्च कालेज मे उनके मुख्य विषय थे, पाश्चात्य तर्कशास्त्र, पाश्चात्य दर्शन तथा यूरोपियन देशो का इतिहास
10 . स्वामी जी मुख्य भाषा संस्कृत, अंग्रेजी तथा बांग्ला भाषाओ मे निपुण थे।
11. युवाकाल मे स्वामी जी का ज्ञान -ध्यान के अतिरिक्त क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी के साथ ही शास्त्रीय गायन तथा वादन मे भी प्रवीण थे।
12. स्वामी जी ने उस्ताद बेनी गुप्ता ओर उस्ताद अहमद खां से गायन की शिक्षा ली थी।
13. सबसे पहले स्वामी जी ब्रह्म समाज संगठन से जुड़े ।
14. स्वामी जी के अध्यापक स्कॉटिशचर्च के प्रधानाचार्य डा. विलियम हेस्टी ने श्री रामकृष्ण परमहंस के बारे मे बताया ।
15. श्री रामकृष्ण परमहंस जी स्वामी जी के गुरू थे।
1881 मे उनके पडोसी सुरेंद्र नाथ के घर पर सर्वप्रथम मिले थे।
16. सर्वप्रथम भेंट मे स्वामी जी ने श्री रामकृष्ण परमहंस को एक सामान्य पुरूष माना।
17. श्री रामकृष्ण परमहंस के दिवंगत होने पर स्वामी जी तथा अन्य शिष्यो ने सर्वप्रथम वाराह नगर मे 1886 मे मठ की स्थापना की
18. बी.ए. पास करने के बाद उनके पिताजी की मृत्यु हो गई, उसी के साथ कमाई का कोई साधन नही रहा और परिवार की सारी जमापूँजी जल्द ही खत्म हो गई जिससे परिवार का गुजारा कठिन हो गया ।
19. इस कठिनाई से उबरने के लिए अपने गुरू से कहा की वे माँ काली से उनकी सहायता करने को कहें,
मगर रामकृष्ण ने कहा कि स्वामी जी स्वंय ही मां से जो मांगना चाहे मांग ले
20. रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद जी को दक्षिणेश्वर मन्दिर मे काली मां से धन तथा अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करने के लिए भेजा मगर
स्वामी जी ने ** ज्ञान तथा भक्ति ** मांगा
21. स्वामी जी ने लगभग 5 वर्ष मे दिशा-निर्देश का कार्य किये, देशाटन मे सबसे पहले प्रवास ** वाराणसी ** था
22. विदेश यात्रा का अवसर स्वामी जी को शिकागो मे धर्म महासम्मेलन मे भारत के प्रतिनिधि के रूप मे जाने का उनके शिष्यो ने आग्रह किया।
23. शिकागो पहुंचकर स्वामी जी को पता चला कि धर्म महासम्मेलन की तारिख बदल गई है, वहाँ भाग लेने के लिए परिचय पत्र की आवश्यकता है और उसमे भाग लेने के लिए आवेदन करने की तिथि निकल चुकी है
24. वहाँ पर बोस्टन की एक महिला कैथरीन सनबर्न ने सहायता की उस महिला ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जान हेनरीराइट से दिलवाया
25. जान हेनरीराइट ने पत्र मे स्वामी जी का परिचय यह कहकर दिया कि राइट ने पत्र मे लिखा कि यह व्यक्ति अमेरिका के विश्वविद्यालय के समस्त विद्वानो से भी अधिक विद्वान है।
26. महासम्मेलन मे जब दोबारा पहुंचे तो आयोजको का पता नही लगता पाया और सारी रात बिना खाए पिए स्टेशन पर गुजारनी पडी।
वहाँ पर जार्ज हेल ने सहायता की और अपने घर ले आयी
जो स्वामी जी के अमेरिका प्रवास का स्थायी पता था।
27. सर्वधर्म महासम्मेलन 11 सितंबर 1893 को आरंभ हुआ ,जो 27 सितंबर तक चला।
28. स्वामी जी ने मेरे अमरीकन बहिनो और भाईयो कहकर संबोधित किया।
29. सभी धर्मो का लक्ष्य एक है केवल रास्ते अलग है। सभी अन्त मे ईश्वर तक पहुँचने की कामना करते है।
30. अमरीकन अखबार 'न्यूयार्क क्रिटीक ' ने स्वामी जी के भाषण पर प्रतिक्रिया दिया कि 'वह एक दिव्य वक्ता है। पीले नारंगी वस्त्रो के बीच उसका तेजस्वी चेहरा और उसके मुख से निकलते सार्थक शब्द उसे भव्य गरिमा प्रदान करते है ।
31. *न्यूयार्क हेराल्ड* ने यह कहा कि 'विवेकानंद बेशक सर्वधर्म सम्मेलन के सर्वश्रेष्ठ वक्ता है। उनको सुनने के बाद हमे अनुभव होता है कि ऐसे ज्ञानियो के देश मे अपने मिशनरी भेजना कितनी बडी मूर्खता है।'
32. स्वामी जी को अमेरिका मे 'हार्वर्ड एंव कोलम्बिया ' विश्वविद्यालय दोनो से 'चेयर आॅफ इस्टर्न फिलॉसफी' के पद पर कार्य करने का प्रस्ताव मिला।
मगर स्वामी जी ने कहा कि उन जैसे परिव्राजक के लिए एक जगह रूक कर कार्य करना संभव नही है।
33. स्वामी जी का निधन 4 जुलाई 1902 मे बेलूर मठ मे हुआ था।
34. कन्याकुमारी के दक्षिण मे लगभग 2 फलांग की दूरी पर विवेकानन्द शिला स्मारक स्थित है।
35. विवेकानन्द शिला स्मारक का निर्माण 'एक नाथ राणाडे' ने करवाया था।
1. स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता मे 12 जनवरी 1863 मे हुआ था।
2. स्वामी जी के माता- पिता का नाम श्रीमती भुवनेश्वरी देवी व श्री विश्वनाथ दत्त था। और बाबा जी का नाम श्री दुर्गाचरण दत्त था।
3. स्वामी जी के पिता कलकत्ता हाईकोर्ट मे एटॉर्नी थे।
4. स्वामी जी के पिता विश्वनाथ दत्त के पैदा होते ही स्वामी जी के बाबा श्री दुर्गाचरण दत्त ने सन्यास ग्रहण कर लिया था।
5. स्वामी जी के जन्म के समय उनकी माता ने वीरेश्वर नाम दिया था, मगर नामकरण के बाद नरेंद्र नाथ नाम रखा गया।
6. विवेकानन्द नाम खेतडी नरेश अजीत सिंह के सुझाव पर 1893 मे रखा गया।
7. स्वामी जी ने सर्वप्रथम ईश्वरचन्द्र विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन इन्स्टीट्यूट विद्यालय मे प्रवेश लिया।
8. स्कॉटिश चर्च कॉलेज मे 1881 मे एफ. ए. तथा 1884 मे बी.ए. तक शिक्षा ग्रहण की ।
9 . स्कॉटिश चर्च कालेज मे उनके मुख्य विषय थे, पाश्चात्य तर्कशास्त्र, पाश्चात्य दर्शन तथा यूरोपियन देशो का इतिहास
10 . स्वामी जी मुख्य भाषा संस्कृत, अंग्रेजी तथा बांग्ला भाषाओ मे निपुण थे।
11. युवाकाल मे स्वामी जी का ज्ञान -ध्यान के अतिरिक्त क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी के साथ ही शास्त्रीय गायन तथा वादन मे भी प्रवीण थे।
12. स्वामी जी ने उस्ताद बेनी गुप्ता ओर उस्ताद अहमद खां से गायन की शिक्षा ली थी।
13. सबसे पहले स्वामी जी ब्रह्म समाज संगठन से जुड़े ।
14. स्वामी जी के अध्यापक स्कॉटिशचर्च के प्रधानाचार्य डा. विलियम हेस्टी ने श्री रामकृष्ण परमहंस के बारे मे बताया ।
15. श्री रामकृष्ण परमहंस जी स्वामी जी के गुरू थे।
1881 मे उनके पडोसी सुरेंद्र नाथ के घर पर सर्वप्रथम मिले थे।
16. सर्वप्रथम भेंट मे स्वामी जी ने श्री रामकृष्ण परमहंस को एक सामान्य पुरूष माना।
17. श्री रामकृष्ण परमहंस के दिवंगत होने पर स्वामी जी तथा अन्य शिष्यो ने सर्वप्रथम वाराह नगर मे 1886 मे मठ की स्थापना की
18. बी.ए. पास करने के बाद उनके पिताजी की मृत्यु हो गई, उसी के साथ कमाई का कोई साधन नही रहा और परिवार की सारी जमापूँजी जल्द ही खत्म हो गई जिससे परिवार का गुजारा कठिन हो गया ।
19. इस कठिनाई से उबरने के लिए अपने गुरू से कहा की वे माँ काली से उनकी सहायता करने को कहें,
मगर रामकृष्ण ने कहा कि स्वामी जी स्वंय ही मां से जो मांगना चाहे मांग ले
20. रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद जी को दक्षिणेश्वर मन्दिर मे काली मां से धन तथा अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करने के लिए भेजा मगर
स्वामी जी ने ** ज्ञान तथा भक्ति ** मांगा
21. स्वामी जी ने लगभग 5 वर्ष मे दिशा-निर्देश का कार्य किये, देशाटन मे सबसे पहले प्रवास ** वाराणसी ** था
22. विदेश यात्रा का अवसर स्वामी जी को शिकागो मे धर्म महासम्मेलन मे भारत के प्रतिनिधि के रूप मे जाने का उनके शिष्यो ने आग्रह किया।
23. शिकागो पहुंचकर स्वामी जी को पता चला कि धर्म महासम्मेलन की तारिख बदल गई है, वहाँ भाग लेने के लिए परिचय पत्र की आवश्यकता है और उसमे भाग लेने के लिए आवेदन करने की तिथि निकल चुकी है
24. वहाँ पर बोस्टन की एक महिला कैथरीन सनबर्न ने सहायता की उस महिला ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जान हेनरीराइट से दिलवाया
25. जान हेनरीराइट ने पत्र मे स्वामी जी का परिचय यह कहकर दिया कि राइट ने पत्र मे लिखा कि यह व्यक्ति अमेरिका के विश्वविद्यालय के समस्त विद्वानो से भी अधिक विद्वान है।
26. महासम्मेलन मे जब दोबारा पहुंचे तो आयोजको का पता नही लगता पाया और सारी रात बिना खाए पिए स्टेशन पर गुजारनी पडी।
वहाँ पर जार्ज हेल ने सहायता की और अपने घर ले आयी
जो स्वामी जी के अमेरिका प्रवास का स्थायी पता था।
27. सर्वधर्म महासम्मेलन 11 सितंबर 1893 को आरंभ हुआ ,जो 27 सितंबर तक चला।
28. स्वामी जी ने मेरे अमरीकन बहिनो और भाईयो कहकर संबोधित किया।
29. सभी धर्मो का लक्ष्य एक है केवल रास्ते अलग है। सभी अन्त मे ईश्वर तक पहुँचने की कामना करते है।
30. अमरीकन अखबार 'न्यूयार्क क्रिटीक ' ने स्वामी जी के भाषण पर प्रतिक्रिया दिया कि 'वह एक दिव्य वक्ता है। पीले नारंगी वस्त्रो के बीच उसका तेजस्वी चेहरा और उसके मुख से निकलते सार्थक शब्द उसे भव्य गरिमा प्रदान करते है ।
31. *न्यूयार्क हेराल्ड* ने यह कहा कि 'विवेकानंद बेशक सर्वधर्म सम्मेलन के सर्वश्रेष्ठ वक्ता है। उनको सुनने के बाद हमे अनुभव होता है कि ऐसे ज्ञानियो के देश मे अपने मिशनरी भेजना कितनी बडी मूर्खता है।'
32. स्वामी जी को अमेरिका मे 'हार्वर्ड एंव कोलम्बिया ' विश्वविद्यालय दोनो से 'चेयर आॅफ इस्टर्न फिलॉसफी' के पद पर कार्य करने का प्रस्ताव मिला।
मगर स्वामी जी ने कहा कि उन जैसे परिव्राजक के लिए एक जगह रूक कर कार्य करना संभव नही है।
33. स्वामी जी का निधन 4 जुलाई 1902 मे बेलूर मठ मे हुआ था।
34. कन्याकुमारी के दक्षिण मे लगभग 2 फलांग की दूरी पर विवेकानन्द शिला स्मारक स्थित है।
35. विवेकानन्द शिला स्मारक का निर्माण 'एक नाथ राणाडे' ने करवाया था।